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चैत्र नवरात्र: इस दिन कलश स्थापना सत्ता पक्ष के लिए होता है अशुभ, जानिए पूरी बात

न्यूज डेस्क

चैत्र नवरात्र की शुरुआत बुधवार से की जाएगी । चैत नवरात्र के दिन ही नव संवत्सर 2080 प्रारंभ होगा और नव वर्ष पर यह चैत नवरात्र भी शुरू होगी। चैत नवरात्र के शुरू होते ही पहले दिन से ही माता के नवरात्रि व्रत को लेकर श्रद्धालु अनुष्ठान में जुट जाएंगे। वही चैत नवरात्र पर माता देवी दुर्गा बुध को चैत नवरात्र शुरू होने की वजह से नाव की सवारी कर आएंगे।

वही हाथी की सवारी पर माता देवी दुर्गा विदा होगी। माता देवी दुर्गा के नाव के सवारी पर आने और हाथी की सवारी पर प्रस्थान करने को लेकर धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इसे काफी शुभ माना जा रहा है। इससे देश के लिए यह काफी शुभ और फलदाई स्थिति बनेगी । इस वर्ष की नवरात्र पूरे 9 दिनों तक है। घटने और बढ़ने का नहीं है।

देवी भागवत की अगर मानें तो माता देवी दुर्गा का वाहन शेर है। लेकिन हर वर्ष नवरात्र पर देवी के अलग-अलग वाहनों पर सवार होकर आने और प्रस्थान करने की मान्यता है। देवी किस वाहन पर सवारी करते हुए आएंगी इसका तय होना किस दिन से नवरात्र शुरू हो रहा है और किस दिन समाप्ति हो रही है इसी पर निर्भर करता है।

रविवार या सोमवार को यदि नवरात्र की शुरुआत होगी और कलश की स्थापना होगी तो देवी दुर्गा के हाथी पर सवार होकर आने की मान्यता है। देवी दुर्गा के हाथी पर सवार होकर आने की मान्यता को लेकर यही माना जाता है कि इसे काफी शुभ माना गया है। ऐसा होने पर खूब वर्षा होती है और अच्छी फसल होने के आसार बढ़ जाते हैं।

घोड़ा पर दुर्गा का आना सत्ता पक्ष के लिए अशुभ

शनिवार या मंगलवार के दिन नवरात्रा के प्रारंभ होने पर देवी दुर्गा का वाहन घोड़ा होता है। देवी दुर्गा यदि घोड़े पर सवार होकर आती है तो सत्ता परिवर्तन अथवा युद्ध का प्रतिक माना गया है। इसको सत्तापक्ष के लिए अशुभ माना जाता है। जबकि विपक्ष के लिए इसे फलदाई माना गया है।

गुरुवार या शुक्रवार को नवरात्र शुरू होने पर माता देवी दुर्गा का आगमन पालकी पर होता है जिसे काफी अशुभ माना गया है। इसे प्राकृतिक प्रकोप वाला माना जाता है।

इन्हीं मान्यताओं के अनुसार बुधवार को यदि नवरात्रा की शुरुआत होती है तो देवी दुर्गा का आगमन नाव पर होता है । नाव पर आगमन को काफी शुभ माना गया है और भरपूर वर्षा और अच्छी फसल से इसकी मान्यता है और कई तरह के कष्ट दूर होने और मनोकामना पूर्ण होने के बाद भी कहे जाती है।

माता देवी दुर्गा की विदाई को लेकर भी  अलग मान्यता है। जिसमें यह कहा जाता है कि रविवार अथवा सोमवार को देवी दुर्गा की विदाई यदि होगी तो उसे भैंस की सवारी पर विदा होना माना जाएगा । इसका प्रभाव राष्ट्र के लिए अशुभ होता है और इसे काफी शोक कारक भी माना गया है।

शनिवार या मंगलवार के दिन दशमी यदि हो तो माता की विदाई मुर्गा पर माना गया है इसे भी अशुभ माना जाता है।

इसी प्रकार विदाई यदि बुधवार या शुक्रवार के दिन हो तो देवी दुर्गा की विदाई हाथी पर माना जाता है जिसे काफी शुभ और फलदाई माना जाता है। गुरुवार के दिन यदि दशमी हो तो माता की विदाई मनुष्य पर होती है। सवारी मनुष्य होती है। इसे भी शुभ फलदाई माना गया है।