Bihar जाति गणना : सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश ने क्यों सुनवाई से किया अलग
नई दिल्ली /न्यूज़ डेस्क
बिहार में जाति आधारित गणना को लेकर राजनीतिक गर्मी से सभी वाकिफ हैं। बिहार सरकार के द्वारा हर हाल में जाति आधारित गणना किए जाने की बात कही गई है तो कई राजनीतिक दलों के नेताओं ने भी जाति आधारित गणना किए जाने की बात कही है।
वहीं विपक्ष में भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष ने जाति आधारित गणना में हाईकोर्ट में सही तथ्य बिहार सरकार के द्वारा नहीं रखने की बात कही गई थी। अब कुल मिलाकर जाति आधारित गणना को लेकर सुप्रीम कोर्ट बिहार सरकार गई है । बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में यह कही है कि जाति आधारित गणना पर रोक से सारी प्रक्रिया और परिश्रम पर विपरीत असर पड़ जाएगा ।
मिडिया रिपोर्ट के अनुसार राज्य में जाति आधारित गणना का काम 70 से 90% तक कई जिलों में काम पूर्ण हो गये है । मात्र 10% ही काम बचे हुए हैं। ऐसे में इस पर रोक से सब कुछ प्रभावित हो रहा है। उधर, बुधवार को जाति आधारित गणना पर पटना हाई कोर्ट के रोक लगाने के बाद बिहार सरकार की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी थी।
सुप्रीम कोर्ट में इसी सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश संजय करोल ने बुधवार को खुद को अलग कर लिया । उन्होंने कहा कि पटना हाई कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश की वे सेवा दे चुके हैं। उस दौरान कुछ संबंधित मुकदमे में वे पक्षकार रहे हैं । इसलिए वे खुद को इस सुनवाई से अलग कर रहे हैं।
न्यायाधीश संजय करोल के इस सुनवाई से अलग होने की घोषणा के बाद सुप्रीम कोर्ट के संबंधित पीठ ने इस याचिका को भारत के प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ के समक्ष सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया ताकि सुनवाई के लिए उपयुक्त पीठ का गठन किया जा सके। इस पीठ में न्यायमूर्ति पी आर गवई भी शामिल है।
बता दें कि जाति आधारित गणना को लेकर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी थी। जिस पर सभी की नजर थी। राजनीतिक रूप से गहमागहमी के बीच जाति आधारित गणना में शुभ लाभ की राजनीत में बयान बाजी भी जमकर हो रही है। उधर, मामला सुप्रीम कोर्ट में चला गया है । अब नए पीठ के गठन के बाद इसमें सुनवाई होगी।