1934 में बिहार में आया था विनाशकारी भूकम्प, मलवे में तब्दील हो गए थे महल
न्यूज डेस्क
बिहार के इतिहास में 15 जनवरी 1934 का दिन प्रलयकारी दिन था।
यह भूकम्प विश्व एवं भारत के बड़े भूकम्पों में गिना जाता है ।
डॉ० ए० एल० कोल्सन के अनुसार यह भूकम्प दोपहर 2 बजकर 13 मिनट एवं 22 सेकेंड पर आया था । जो तीन से चार मिनट तक रहा तथा जिसकी तीव्रता 8.3 मापी गई ।
यह भूकम्प नेपाल की तराई से उठकर बिहार का विध्वंस करते हुए संयुक्त प्रांत को हिलाते एवं दक्षिण को ठोकर मारते हुए बंगाल की खाड़ी में विलीन हो गया ।
दरभंगा, मुंगेर मुजफ्फरपुर भागलपुर, मोतिहारी, चम्पारण, पूर्णिया, सारण आदि शहर मलवे के ढेर में तब्दील हो गए ।
30,000 से अधिक मील के क्षेत्र में भयंकर तबाही हुई ।
•इस भूकम्प में करीब 10,500 लोग मरे (सरकारी आँकड़े) ।
इस भूकम्प से करीब 55,147 जानवर प्रभावित हुए थे, जिनमें से 10.730 की मौत हो गई ।
भूकम्प के कारण कोई भी डिस्पेंसरी या सिविल हॉस्पीटल सलामत नहीं बचा था जिसमें घायलों का इलाज हो पाता ।
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