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जानिए क्यों मनाई जाती है रामनवमी, रामायण में क्या लिखा गया है

धार्मिक डेस्क

रामनवमी भारत में हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो महाभारत काल से मनाया जाता है। यह त्योहार हर साल चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है।

रामनवमी के अनुसार, भगवान राम का जन्म हुआ था। राम भगवान हिंदू धर्म के चारों वेदों में उल्लेखित एक अवतार माने जाते हैं और उन्हें दशरथ नाम के राजा की रानी कौशल्या से जन्मा था।

राम ने अपने जीवन में धर्म के प्रति अपनी श्रद्धा और निष्ठा के कारण बहुत कुछ किया है, उनमें से सबसे प्रसिद्ध उनका रावण से युद्ध है। राम ने रावण को मार डाला और उनके अनेक धर्मपुरुषों ने भगवान राम के इस युद्ध को दूसरे धर्मों की नज़र में धर्मयुद्ध के रूप में स्वीकार किया। इस दिन को मनाकर हम भगवान राम के जीवन में उनकी विशेषताओं को स्मरण करते हैं और उनके द्वारा प्रदर्शित उदारता, धर्म और सद्भाव का प्रतीक बनते हैं।



अयोध्या में राम नवमी को बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। अयोध्या शहर में इस दिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु भक्तों का आगमन होता है। समारोहों में रामलीला के दृश्य भी दिखाए जाते हैं जो रामायण के प्रसिद्ध किस्सों को दर्शाते हैं।

तुलसीदास जी ने ‘रामचरितमानस’ के माध्यम से राम जन्म के उत्सव का विवरण दिया है। उन्होंने अयोध्या में राम जन्म के दिन के लिए बहुत सारी रंग-बिरंगी तैयारियां बताई हैं। इस दिन महलों और आश्रमों में फूलों के विशाल अलंकरण लगाए जाते हैं और शहर की सड़कों पर रंग-बिरंगे पंखड़ियों, झांकियों और पतंगों का खेल देखा जाता है।

इसके अलावा, राम जन्म के दिन को बहुत धार्मिक महत्व दिया जाता है। श्रद्धालु भक्त अपने घरों में पूजा-अर्चना करते हैं और भगवान राम के नाम का जाप करते हैं।

बाल्मिकी मुनि ने रामायण में क्या लिखा है

बाल्मीकी रामायण में भगवान राम के जन्म के विवरण का बहुत विस्तृत वर्णन किया गया है। रामायण के अनुसार, भगवान राम का जन्म अयोध्या नगर में हुआ था।

भगवान राम के जन्म के समय, उनके पिता राजा दशरथ ने एक विशेष यज्ञ की थी जिसमें उन्होंने राम के जन्म के लिए भगवान विष्णु की पूजा की थी। भगवान विष्णु ने अपने आधार से अयोध्या में अवतरण लिया और राम के रूप में जन्म लिया।

रामायण में इसके अलावा राम जन्म के समय के कुछ और महत्वपूर्ण घटनाओं का वर्णन भी किया गया है। उनमें से एक यह है कि जब भगवान राम का जन्म हुआ तो उनके चारों तरफ समस्त अयोध्या नगर खुशी से लबालब था। इसके अलावा, भगवान राम के जन्म के बाद भगवान ब्रह्मा, ऋषि वशिष्ठ, ऋषि विश्वामित्र, ऋषि नारद, देवताओं और अन्य अधिकारी भी अयोध्या में आये थे।


तुलसी दास जी ने अपनी कृति “रामचरितमानस” में भगवान राम के जन्म का वर्णन करते हुए चौपाई लिखा है। उनकी रचना में इस अवसर पर निम्नलिखित चौपाई हैं:

जय रघुबीर जय सियावर, जय रवि कुल शर चरण सरोज रजिव निवार।
जय राजीरथ जय गुण ग्राम, जय जानकी प्रिया सम भाग सब हानि भाग।।

इस चौपाई में तुलसी दास जी ने भगवान राम, सीता और उनके परिवार की जय-जयकार की है। वे भगवान राम के बारे में उनके परिवार, गुण और महिमा का वर्णन करते हुए इस उत्सव को धन्यवाद देते हैं।

तुलसी दास कौन थे जान लीजिए

तुलीस दास कौन थे

तुलसीदास भारतीय संस्कृति के एक महान कवि थे। उनका जन्म सन् 1532 में उत्तर प्रदेश के प्रयाग जिले के रामपुर ग्राम में हुआ था। तुलसीदास ने वेद, पुराण और रामायण जैसी धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन किया था।

तुलसीदास ने अपनी रचनाओं में भगवान राम के जीवन और महिमा का वर्णन किया था। उन्होंने अपनी सबसे महत्वपूर्ण रचना “रामचरितमानस” लिखी थी, जो भगवान राम के जीवन के सभी पहलुओं का वर्णन करती है। इसके अलावा उन्होंने अनेक अन्य रचनाएं भी लिखीं थीं जैसे विनय पत्रिका, गीतावली, कबीर बिजक, जानकी मंगल, कल्याणी मानस आदि।

तुलसीदास ने भारतीय संस्कृति और धर्म के विभिन्न पहलुओं को बेहतर ढंग से समझने के लिए अपनी रचनाओं का उपयोग किया था। उनकी रचनाएं आज भी भारतीय संस्कृति की अनमोल धरोहर हैं और उनकी कविताओं को लोग आज भी प्रेम से पढ़ते हैं।