Arun Sathi
33 अगस्त को रक्षाबंधन का समाचार तेजी से वायरल, जानिए इसका सच
न्यूज डेस्क
पिछले कुछ दिनों से एक अखबार के कतरन का एक हिस्सा तेजी से वायरल हो रहा है। जिसमें 33 अगस्त को रक्षाबंधन होने की बात कही गई है। शीर्षक से लेकर अंदर के समाचार में भी 33 अगस्त का लगातार कई जगह जिक्र है और इस समाचार के कतरन को तेजी से लोग सोशल मीडिया पर वायरल कर रहे हैं। व्हाट्सएप ग्रुप में भी यह तेजी से वायरल हो रहा है और फेसबुक ट्विटर इत्यादि पर भी इसी जगह मिली है। लोग अखबार की आलोचना कर रहे है।
यही समाचार जब बरबीघा चौपाल नामक एक व्हाट्सएप ग्रुप में वायरल हुआ तो इस पर खूब चर्चा होने लगी कई लोग आश्चर्यचकित रह गए की 33 अगस्त शीर्षक से लेकर अंदर तक लिखा हुआ है। इसी बीच इसका वायरल टेस्ट किया गया और इसके सच की पड़ताल जब की गई तो बात कुछ और ही निकला। इसको लेकर वरिष्ठ पत्रकार और एडमिन अरुण साथी ने पड़ताल कर जो बात रखी वह इस प्रकार है।
सुप्रभात
कल जब मैं इस खबर को देखा, 33 अगस्त को रक्षाबंधन तो अचानक से चौंक गया।
विश्वास नहीं हुआ, परंतु व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी के इस ज्ञान की पड़ताल भी जरूरी थी। इस बात से अलग सबसे पहले मैं यह भी कहना चाहता हूं कि आज सोशल मीडिया ने कैसे हमारे दिमाग को हैक कर लिया है। कोई कह दे की कौवा आपका कान लेकर भाग गया है तो हम सीधा कौवा के पीछे दौड़ने लगते हैं। हम बिल्कुल ही अपने कान को नहीं देखते।
33 अगस्त को रक्षाबंधन की खबर यह बताने के लिए काफी है कि हमारे दिमाग में कितनी नकारात्मकता भरी हुई है । यदि 33 अगस्त इसमें नहीं लिखा हुआ होता तो शायद ही कोई इस बात चर्चा कर पाते और संज्ञान लेते। परंतु 33 अगस्त कई जगह लिखा होने भर से यह वायरल हो गया । इसको हम सब ने वायरल किया, मतलब की नकारात्मक चीजों को हम तेजी से पढ़ते हैं और उसे प्रसारित भी कर देते हैं। खैर इस मानसिकता के दौर में आज सोशल मीडिया के वजह से हम लोग बीमार हो गए हैं और अभी तक इसका कोई इलाज भी नहीं मिला है।
गंदगी, नकारात्मक, बदबू और चरित्र हनन
गंदगी, नकारात्मक, बदबू और चरित्र हनन इन चीजों पर हम तेजी से विश्वास करते हैं और इसे तेजी से फैलाते हैं कई नकारात्मक लोग इन चीजों को समझ गए हैं और इसी हिसाब से वे हमारे दिमाग से खेलते हैं। इसी में 31 अगस्त को 33 अगस्त भर कर देने से हम उनके शिकार हो गए। ऐसा केवल एक अखबार के कतरन भर का मामला नहीं है। सोशल मीडिया के दौर में सामाजिक तौर पर भी आदमी इसी नकारात्मकता का या तो शिकार बन रहा है या कोई शिकारी बनकर यह काम कर रहा है।
इस दौर में हमें बेहद ही सतर्क, सजग और सावधान रहने की जरूरत है। इसके लिए सोशल मीडिया के एक दशक से अधिक अनुभव के बाद मैंने यह तय किया है कि अब किसी भी बात पर आंख मूंद कर भरोसा नहीं करना है और उससे पहले, मैंने यह तय किया है कि अब किसी भी गंभीर से गंभीर मुद्दे पर त्वरित प्रतिक्रिया भी नहीं करनी है। समझ बूझकर करनी है और यदि 24 घंटे का इंतजार कर लेते हैं तो कई मुद्दे बदलकर सच के रूप में सामने भी आ जाते है। राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय, सामाजिक, धार्मिक और जातीय स्तर के मामलों में कई बार ऐसा मैंने अनुभव किया है।
तो बस आखिर में निष्कर्ष यह की किसी भी मामले में अधिक कोई नकारात्मक बात आपको दिखे तो कुछ नहीं कर सकते तो कम से कम शांत हो जाइए। उसे वायरल नहीं करिए। उसको फैलाइए मत और और आप देखेंगे कि समय के साथ-साथ सामने आ जाएगा। मतलब यह कि आज सोशल मीडिया के जमाने में सबकुछ करने से बेहतर कभी कभी कुछ नहीं करना भी सकता है।
खैर , मैं यह बताना चाहता हूं कि कल से ही इस खबर की पड़ताल मैं कर रहा था। आखिरकार मैं सफल हुआ और यह खबर फेक खबर निकाली। देखिए सच्ची खबर क्या है।