
बिहार चुनाव में अभी इस रेस में कांग्रेस पार्टी आगे है
जैसा कि पहले ही कहा था, अब चुनाव सोशल मीडिया पर लड़ा जाना है और इस रेस में कांग्रेस पार्टी अभी आगे है। बिहार में वाेटर अधिकार यात्रा में माया जाल का जबरदस्त प्रदर्शन हुआ है।
जब चुनाव सोशल मीडिया पर मायाजाल से लड़ा जाना है तो इस मायाजाल को फैलाने के लिए हजारों करोड़ की कंपनी और उसके कर्मचारी लगे हुए हैं। तो अब नेगेटिव बनाने और बिगाड़ने का काम ही होना है।
इसी में झूठ की खेती कैसे फैलती है उसका ताजा उदाहरण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की माता के लिए गाली शब्द का प्रयोग करने वाले रिजवी की गिरफ्तारी का मामला है।
उसकी गिरफ्तारी होते ही सोशल मीडिया पर कांग्रेस पार्टी के आईटी सेल ने गजब नेगेटिव फैला दिया और मध्य प्रदेश के बीजेपी पार्टी के एक रिजवी नामक नेता की फोटो वायरल कर दी।
फिर कांग्रेस कार्यकर्ता और मोदी से खार खाए लोगों ने आंख मूंद कर उस फोटो को वायरल किया । हालांकि बाद में पीछे-पीछे यह पूरा सच भी सामने आ ही गया।
अब कांग्रेस पार्टी की रणनीति क्या है । यह समझने के लिए रणनीतिकारों को भी चक्कर आ रहा है। कुछ लोग सेल्फ गोल कह रहे हैं तो कुछ लोग बड़ी रणनीति।
दरअसल, स्टालिन को बिहार की राजनीति में उतार कर राहुल गांधी की कंपनी ने कोई जरूर बड़ा गेम सोचा है। स्टालिन के बारे में हर कोई जानता है कि सनातन धर्म को लेकर निम्न स्तर का शब्द बार बार प्रयोग किया गया। बिहारी को बार-बार अपमानित किया गया। अब ऐसे में स्टालिन को बिहार उतार कर राहुल गांधी में जरूर कोई बड़ा खेल किया।
मेरी समझ से इस वाेटर अधिकार यात्रा में राहुल गांधी की कंपनी राहुल गांधी को आगे-आगे लेकर जा रही हैं। पहली लड़ाई तो राष्ट्रीय जनता दल से भी है। बिहार में कांग्रेस पिछले दो-तीन दशकों से शुन्य की स्थिति में है। कांग्रेस का कोर वोटर में से एक मुसलमान भी था। जो देश की राजनीति में नरेंद्र मोदी से धृणा की वजह से कांग्रेस के पक्ष में अभी प्रबल समर्थन में है। बिहार में यह राष्ट्रीय जनता दल के लालू प्रसाद यादव के द्वारा लालकृष्ण आडवाणी को गिरफ्तार करने के बाद उनके साथ चला गया था। अब राहुल गांधी इस खेल में कोर वोटर को अपने पाले में लाने में सफल हो रहे हैं।
