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15 अगस्त 1947 को ब्रिटिश साम्राज्य से स्वतंत्रता प्राप्त करके कैसे आजाद

News Desk/AI

भारत 15 अगस्त 1947 को ब्रिटिश साम्राज्य से स्वतंत्रता प्राप्त करके आजाद हुआ। इस घटना को भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के परिणामस्वरूप माना जाता है, जिसमें लाखों भारतीय नेताओं, वैद्यों, स्वतंत्रता सेनानियों, और आम जनता ने हिस्सा लिया। स्वतंत्रता में महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, सरदार वल्लभभाई पटेल, लाल बहादुर शास्त्री और बहुत से अन्य महान नेताओं का महत्वपूर्ण योगदान रहा।

स्वतंत्रता का सफर कठिन और संघर्षपूर्ण रहा, जबकि भारत के अलग-अलग हिस्सों में आराम संग्राम, नागरिक सत्याग्रह, नारी शक्ति, और गुप्त संगठनों के माध्यम से आजादी की लड़ाई लड़ी गई। इस संघर्ष में भारतीयों की अनगिनत कुर्बानियां दी गईं, जिनमें शहीद भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु, चंद्रशेखर आजाद, और मंगल पांडे जैसे आजादी सेनानी शामिल थे।

ब्रिटिश सत्ता के प्रतिरोध के चलते, भारत ने विभाजन के साथ द्वारा अलगाव का सामना किया। 15 अगस्त 1947 को, भारत अन्योन्य औपनिवेशिक सदस्यताओं के ऊपर नगरिकता कानून के माध्यम से अस्थायी संघटित हुआ, जिससे भारतीय नागरिकता का स्थायी निर्धारण 26 जनवरी 1950 को संविधान के साथ सुनिश्चित हुआ। इस दिन से, भारत गणराज्य के रूप में मान्यता प्राप्त करके एक सम्पूर्ण राष्ट्र के रूप में आजाद हुआ।

आजादी की लड़ाई में स्वतंत्रता सेनानी का योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण रहा। स्वतंत्रता सेनानियों ने बिना किसी भय के और पूरी समर्पण के साथ देश की आजादी के लिए संघर्ष किया। वे अपनी जान की परवाह किए बिना देश के लिए संघर्ष करते रहे।

स्वतंत्रता सेनानियों ने देश में गायबी और आमंत्रित कराए गए अंग्रेजी सरकार के विरोध में आंदोलन, आहुति, हड़ताल आदि कई तरह के नागरिक अभियानों का आयोजन किया। वे अंग्रेजों के तानाशाही और अत्याचार पर उठे सवाल करते रहे और देश के लिए स्वतंत्रता की मांग को पूरा करने के लिए संघर्ष किया।

स्वतंत्रता सेनानियों ने अपने योगदान से देश भर में प्रेरणा फैलाई और लोगों को संगठित होने के लिए प्रेरित किया। वे ने देश के महान् संगठनों का गठन करने में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। स्वतंत्रता सेनानियों ने देश को न केवल विदेशी शासन से मुक्त कराया, बल्कि उन्होंने देश को एक मानवीय और सामाजिक बदलाव की ओर भी ले जाने का संकल्प भी दिया।

स्वतंत्रता सेनानियों ने चाहे वह असम, बंगाल, गुजरात, पंजाब, उड़ीसा, महाराष्ट्र अथवा किसी भी अन्य राज्य से हों, देश में एकजुट होकर एक राष्ट्रीय आंदोलन का आयोजन किया और वहां से गांधीजी के नेतृत्व में एकमत के साथ चले गए। उनके तेजीपरक और सौहार्दपूर्ण प्रयासों के कारण ही अंग्रेज शासकों को दबना पड़ा और वे हमारे मुकुटभूषण हो उठे।