आरएसएस के 100 वर्ष — प्रधानमंत्री ने जारी किया विशेष डाक टिकट और स्मारक सिक्का

आरएसएस के 100 वर्ष — प्रधानमंत्री ने जारी किया विशेष डाक टिकट और स्मारक सिक्का

दिल्ली, 1 अक्टूबर 2025

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की शताब्दी वर्ष की भव्य समारोहमाला आज दिल्ली के अंबेडकर अंतर्राष्ट्रीय केंद्र में आयोजित की गई। इस अवसर को और भी महत्वपूर्ण बनाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे और उन्होंने एक विशेष स्मारक डाक टिकट तथा ₹100 की यादगार सिक्का जारी किया।

इस कार्यक्रम की शुरुआत सुबह 10:30 बजे हुई।

कार्यक्रम में आरएसएस के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबले, केंद्रीय संस्कृति मंत्री, दिल्ली के मुख्यमंत्री सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

समारोह में, प्रधानमंत्री ने देशभर के स्वयंसेवकों तथा उपस्थित समुदाय को संबोधित किया।

विशेष डाक टिकट

यह डाक टिकट आरएसएस की शताब्दी वर्ष को समर्पित है और संघ के सामाजिक तथा राष्ट्र निर्माण योगदान को रेखांकित करता है।

डाक टिकट पर आरएसएस स्वयंसेवकों की 1963 की गणतंत्र दिवस परेड में भागीदारी को दर्शाया गया है, जो संगठन की ऐतिहासिक सक्रियता की एक झलक देता है।

₹100 स्मारक सिक्का

यह सरकार द्वारा जारी ₹100 की विशेष स्मारक सिक्का है, जिसे इस शताब्दी समारोह के उपलक्ष्य में जारी किया गया।

इस सिक्के पर भारत माता की एक विशेष छवि अंकित है — पहली बार आज़ाद भारत में ऐसा हुआ है कि मुद्रा पर भारत माता की छवि हो।

सिक्के पर एक संस्कृत श्लोक अंकित है — “राष्ट्राय स्वाहा, इदं राष्ट्राय इदं न मम” (सब कुछ राष्ट्र को, यह राष्ट्र है, यह मेरा नहीं) — यह संदेश त्याग एवं राष्ट्र के प्रति समर्पण का प्रतीक है।

सिक्के की ऊपरी डोरी(पेरिफरी) पर “राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के 100 वर्ष” (देवनागरी) और निचली ओर अंग्रेजी में “100 Years of Rashtriya Swayamsevak Sangh” लिखा गया है।

पीएम मोदी के शब्द — शताब्दी पर विचार

प्रधानमंत्री मोदी ने इस अवसर पर आरएसएस को त्याग, निःस्वार्थ सेवा, राष्ट्र निर्माण और अनुशासन की एक मिसाल बताते हुए कहा कि यह संस्था भारतीय समाज में राष्ट्र चेतना को जीवित रखने वाली शक्ति रही है।

उन्होंने यह भी कहा कि आरएसएस ने ब्रिटिश काल और निजाम के शासन के दौरान देशवासियों की सोच को “बौद्धिक दासता” से मुक्त करने की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

मोदी ने यह भी उल्लेख किया कि इस शताब्दी समारोह के माध्यम से हम अतीत की उपलब्धियों का सम्मान करने के साथ-साथ भविष्य की दिशा को भी स्पष्ट करना चाहते हैं — ताकि आने वाली पीढ़ियाँ संघ के आदर्शों से प्रेरणा लें।

समारोह का महत्व और प्रतीकात्मक संदेश

इस शताब्दी आयोजन के माध्यम से संघ और सरकार के बीच एकता और सम्मान का संदेश गया है।

डाक टिकट और विशेष सिक्का केवल प्रतीकात्मक स्मृति नहीं हैं, बल्कि यह राष्ट्रीय विचार, सहयोग तथा साझा पहचान को भी उजागर करते हैं।

भारत माता की छवि पर पहली बार मुद्रा पर अंकन इस बात का प्रतीक माना जा रहा है कि राष्ट्र और संस्कृति की मूल भावना को मुद्रा के रूप में भी सम्मान मिला है।

समारोह के बाद, संघ ने यह घोषणा की है कि 2 अक्टूबर, 2025 को नागपुर में विजयदशमी के दिन शताब्दी समारोह की औपचारिक शुरुआत होगी।

इसके साथ ही, भारत के कोने-कोने में लाखों संघ-कार्यक्रम (शाने, सम्मेलन आदि) आयोजित किए जाएंगे, ताकि शताब्दी वर्ष राष्ट्रीय स्तर पर व्यापक रूप से मनाया जाए।

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